राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भगवान हर युग में अवतार लेकर किसी न किसी रूप में हम सभी की इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए पधारते हैं |

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

👉 सनातन संस्कृति समागम के दूसरे दिन मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोले
👉 स्वामी रामभद्रा जी महाराज ने कहा- संतों को अब केवल राष्ट्रीय हित की बात करनी चाहिए
👉 भारत पूरे विश्व के लिए सांस लेता है, चिदानंद स्वामी ने कहा
पटना / बक्सर। बिहार के बक्सर में सनातन संस्कृति समागम के दूसरे दिन मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय धर्म सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भगवान हर युग में अवतार लेकर किसी न किसी रूप में हम सभी की इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए पधारते हैं। संतों ने बताया है कि - " होइहि सोइ जो राम रचि राखा "। अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हम सभी को कर्म करने की जरूरत है।
भागवत ने आगे कहा कि भारत का काफी पुराना गौरवशाली इतिहास है और ये संतों की धरती कही जाती है। हमारा काम पुरुषार्थ करना है, न कि नारेबाजी करना। व्यक्ति को नारेबाजी और जोश में होश नहीं खोना नहीं चाहिए। मनोकामना पूर्ण हो इसके लिए कर्म और पुरुषार्थ दोनों करना है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार करना है। उन्होंने कहा कि धर्म समाज को जोड़ कर रखता है। किसी से डर करके कर्म न करो। धर्म का पालन मन से होना चाहिए। जप करें तो मैं का आभास नहीं रहना चाहिए, सर्वत्र का आभास होना चाहिए है। जप के लिए हिमालय पर जाने की जरूरत नहीं है, मन को अयोध्या बनाना पड़ेगा।
इस मौके पर स्वामी रामभद्रा जी महाराज ने कहा कि इसी बक्सर में श्रीराम ने संतों को कहा था कि आप निर्भय होकर यज्ञ कीजिए। बक्सर की यह यात्रा श्रीराम की विजय स्मृति यात्रा है। 370 हटाया, 35-ए हटाया। हंसते-हंसते श्रीराम जन्मभूमि ली। अब ज्ञानव्यापी मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मभूमि लेना है।
श्री महाराज ने कहा कि पाकिस्तान में जो कश्मीर का हिस्सा है, उसे वापस लेना है। लद्दाख का हिस्सा जो चीन में है, उसे भी छीनना है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह सब संभव है और वह अवश्य पूरा होगा। संतों को अब केवल राष्ट्रीय हित की बात करनी चाहिए, घर वापसी को अभियान बनाएं । हिंदुओं की संख्या घट रही है, यह चिंता का विषय है। उदारता पूर्वक हिंदू धर्म अपनाने के लिए प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि अब याचना नहीं रण होगा।
इस मौके पर चिदानंद स्वामी ने कहा कि भारत केवल अपने लिए सांस नहीं लेता है, वह पूरे विश्व के लिए सांस लेता है। स्मार्ट फोन के जमाने में ऐसा न हो कि मां-बाप भी हमारे कवरेज से बाहर हो जाएं, बच्चों को संस्कार दीजिए। हमें धरती के लिए संकल्प लेना होगा। आप सभी लोग पेड़ लगाइये , सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग से बचें और जल के संचयन का संकल्प लें।
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