प्रख्यात सिने इतिहासकार, एवं दूरदर्शन उद्घोषक शरद दत्त का आज सुबह हॉस्पिटल में निधन हो गया। उनकी उम्र 77 वर्ष थी और वे गले में कैंसर से पीड़ित थे।
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शत-शत नमन : दुनिया को अलविदा बोल गए मशहूर सिने व इतिहासकार शारदा दत्त ,थे कैंसर से पीड़ित |
निधन पर फ़िल्म समीक्षकों ने गहरा दुःख व्यक्त करते हुए दी श्रद्धांजलि
नई दिल्ली। प्रख्यात सिने इतिहासकार, एवं दूरदर्शन उद्घोषक शरद दत्त का आज सुबह हॉस्पिटल में निधन हो गया। उनकी उम्र 77 वर्ष थी और वे गले में कैंसर से पीड़ित थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। कई वर्षों से पत्नी से अलग होने के बाद वह एकाकी जीवन व्यतीत कर रहे थे। श्री दत्त दिल्ली दूरदर्शन में उपनिदेशक पद से अवकाश ग्रहण करने के बाद एक टीवी चैनल में शीर्ष पद पर आसीन थे।
उन्होंने पुराने जमाने के पार्श्व गायक एवम अभिनेता कुंदन लाल सहगल, गीतकार साहिर लुधियानवी और मशहूर संगीतकार अनिल विश्वास की जीवनियां लिखी थी। उन्हें हिंदी सिनेमा के चलते फिरते कोष कहा जाता था और नेशनल फ़िल्म ज्यूरी के सदस्य भी थे। उन्होंने नूरजहां, कुंदन लाल सहगल, नौशाद ,मुकेश, दिलीप कुमार, सलिल चौधरी व अमिताभ बच्चन पर वृतचित्र भी बना चुके थे। उन्होंने डिस्कवरी ऑफ इंडिया पर भी एक वृतचित्र भी बनाया था।
इसके अलावा भी खुशवंत सिंह के साथ एक डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। प्रख्यात फ़िल्म अभिनेता दिलीप कुमार, खय्याम, सागर सरहदी, नीरज नौशाद आदि उनके गहरे दोस्तों में थे। उन्हें फ़िल्म लेखन के ऊपर दो बार राष्ट्रपति के हाथों स्वर्ण कमल सम्मान मिल चुका था। वे करीब सौ चर्चित डॉक्यूमेंट्रीज बना चुके थे। उनके निधन पर फ़िल्म समीक्षकों ने गहरा दुःख व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि व्यक्त की है।
दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक व प्रसिद्ध लेखक लीलाधर मण्डलोई ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कुछ साल पहले उन पर एक किताब भी संपादित की थी। मण्डलोई ने कहा कि शरद दत्त के नहीं रहने से सिनेमा का जीता जागता इतिहास चला गया। उन्होंने सांस्कृतिक पत्रकारिता को भी समृद्ध किया था।
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