चौसा प्रखंड के सरेंजा गांव निवासी एक युवक ने हिमालय के कालानाग पर्वत पर सफलतापूर्वक पहुंचने का रिकॉर्ड बनाया है|
बक्सर : जिले के चौसा प्रखंड के सरेंजा गांव निवासी एक युवक ने हिमालय के कालानाग पर्वत पर सफलतापूर्वक पहुंचने का रिकॉर्ड बनाया है। यह सफलता पाकर उन्होंने न सिर्फ जिले बल्कि प्रदेश का भी नाम रोशन किया है। उन्होंने यह कारनामा 10 दिनों की लंबी और कठिन चढ़ाई के बाद कर दिखाया है। कालानाग पर्वत हिमालय पर्वत श्रृंखला में शामिल पर्वत की चोटी है जो कि उत्तराखंड में स्थित है। इसकी चढ़ाई उन्होंने अपने चार अन्य मित्रों के साथ शुरू की और अंततः सफलता प्राप्त की। नंदन बताते हैं कि अब वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं और जल्दी इसकी तैयारियां शुरू कर देंगे।
सरेंजा निवासी सिंचाई विभाग में कार्यरत अमरनाथ चौबे के पुत्र नंदन चौबे चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं पर्वतारोही हैं। उन्होंने 6,387 मीटर ऊंची चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की और भारतीय ध्वज फहरा दिया। उन्होंने अपने अनुभव के बारे में बताया कि उनकी लड़ाई काफी कठिन रही लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि वह इसे अवश्य पूरा कर लेंगे। इसी उम्मीद पर वह आगे बढ़ते गए और अंततः उन्होंने चढ़ाई पूरी की।
कालानाग का शाब्दिक अर्थ है ब्लैक कोबरा
विकिपीडिया के मुताबिक कालानाग या काली चोटी, सरस्वती (बंदरपंच) पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी है। इसके आसपास के क्षेत्र सरस्वती देवी पर्वत (6316 मीटर) और हनुमान पर्वत (6102 मीटर)है। कालानाग या काली चोटी पर्वत का शाब्दिक अर्थ ब्लैक कोबरा है यह रूइनसारा घाटी के करीब है। इस चोटी पर पहली बार 1955 में जैक गिब्सन और दून स्कूल, देहरादून के छात्रों ने फतह पाई थी।
इससे पहले भी कई छोटे चोटियों पर भर चुके है उड़ान
शुक्रवार को मिनी एवरेस्ट के लिए चढ़ाई पर जाने से पहले सरेंजा के नंदन चौबे ने जागरण को बताते हुए कहा उनका लक्ष्य एवरेस्ट चोटी है। वह हर सम्भव इस चढ़ाई को भी पूरा करेंगे। उन्होंने बताया कि पहली बार मे उन्होंने कालानाग की सफलता पाई है। इसके बाद मिनी एवरेस्ट पर चढ़ाई करने जा रहे है। उसके बाद एवरेस्ट चोटी की उड़ान भरेंगे।
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