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जयंती पर लाखों खर्च, पर बाबू वीर कुंवर की प्रतिमा की अब तक किसी ने नहीं ली सुधि ...

अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह की विजयोत्सव मनाया गया। इनकी देश ही नहीं बल्कि विश्व भर में चर्चा होती है। जयंती के मौके पर 78 हज़ार 700 भारतीय ध्वज फहरा कर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री भी शरीक हुए|

● स्थापना के बाद धनाभाव की वजह से नहीं हो पा रही मरम्मत, सरकारी मशीनरी भी अनजान 

 बक्सर। पिछले दिनों भोजपुर के जगदीशपुर में अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह की विजयोत्सव मनाया गया। इनकी पहचान सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विश्व भर में चर्चा होती है। इनकी जयंती के मौके पर  78 हज़ार 700 भारतीय ध्वज फहरा कर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया गया। कार्यक्रम के दौरान लोगों का जोश देखते ही बन रहा था। विजयोत्सव में शामिल होने के लिए बक्सर से भीकाफी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता गए हुए थे। 

स्थानीय सांसद अश्विनी कुमार चौबे समेत तमाम छोटे-बड़े भाजपा नेताओं ने इस महोत्सव में भीड़ जुटाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 



चर्चा यह रहा कि विजयोत्सव का आयोजन इतना भव्य था कि इसमें केवल पोस्टरों में 100 करोड़ रुपये की राशि व्यय की गई थी। लेकिन, जिस शाहाबादी शेर को याद करते हुए देश के गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष इतना बड़ा आयोजन किया आयोजित हुआ।

 लेकिन अजीब स्थिति तो यह है कि इस महान विभूति को शाहबाद क्षेत्र में ही इस कदर भुला दिया गया है कि तकरीबन एक साल से ज्यादा समय से उनकी प्रतिमा विखंडित अवस्था में पड़ी हुई है। इस प्रतिमा के पुनर्निर्माण अथवा सुरक्षा को लेकर किसी भी प्रकार की पहल पिछले एक वर्ष में नहीं की जा सकी है। जब स्थानीय ग्रामवासियों ने पत्रकारों से जब अनुरोध किया तब इस स्थिति पर कई सवाल उठाने लगे, फिर अधिकारियों द्वारा यह आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही इस दुर्दशा के कारणों का पता लगाकर उचित कार्रवाई होगी।

उद्घाटन समारोह में पहुंचे थे पूर्व मुख्यमंत्री समेत कई दिग्गज नेता 

जब वर्ष 2014 में  शिक्षक रणजीत सिंह ने इस प्रतिमा की स्थापना कराई थी तब मौके पर पूर्व  उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी समेत तमाम राजनीतिक दिग्गज मौके पर थे, इस दौरान अपने भाषणों में भी बाबू वीर कुंवर सिंह की वीरता के गाथा गाए, उनके सम्मान में लोगों ने कई बातें भी रखी थी लेकिन पिछले एक वर्ष से यह स्थिति बनी हुई है कि आजादी की लड़ाई के प्रमुख योद्धा की प्रतिमा बदहाल हालत में पड़ी हुई है जैसे वे अपमान का घूँट पी रहे हों।

कभी प्रतिमा स्थापना पर खर्च हुए थे लाखों रुपये, अब मरम्मत के लिए पैसे नहीं


शिक्षक रणजीत सिंह कहते हैं कि वर्ष 2014 में जब प्रतिमा की स्थापना हुई थी उस समय
51 हज़ार रुपये की ब्लैक मार्बल की बनी प्रतिमा लगाई गई थी। फाउंडेशन में तकरीबन 40 हज़ार रुपये खर्च हुए थे, इसके अतिरिक्त कार्यक्रम के आयोजन में भी काफी पैसे खर्च हुए थे। किसी असामाजिक तत्व के द्वारा प्रतिमा को क्षतिग्रस्त कर दिया गया , फिर ऐसे में प्रतिमा को बनवाने में लगने वाले खर्च को वहन करना संभव नहीं हो पाया। सरकारी मशीनरी ने भी इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया। यही वजह है कि प्रतिमा प्रतिमा विखंडित पड़ी हुई है।  

कांग्रेस-राकांपा नेताओं ने लिया आड़े हाथ, वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव के प्रभारी ने बचते-बचाते दिया जवाब  


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएन चौबे ने स्थानीय सांसद को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार बताया है। साथ ही यहां तक बोले कि यह शर्मनाक और डूब मरने जैसी स्थिति है। हरिशंकर त्रिवेदी उर्फ़ गोपाल त्रिवेदी ने यहां तक कहा कि भाजपा महापुरुषों के सम्मान के साथ लगातार खिलवाड़ कर रही है, निश्चित रूप से महापुरुषों की ख्याति को राजनीतिक रूप से भुलाने की कोशिश हो रही है।

 जिस विजयोत्सव के दौरान करोड़ों रुपए का खर्च कर डाला गया लेकिन सही मायने में देखा जाए तो जिन महापुरुषों के नाम पर भाजपा राजनीति कर रहे हैं, उन महापुरुषों में न तो उनकी कोई आस्था है और ना ही वह दूसरों में उनके प्रति आस्था पैदा कर पा रहे हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 

वरिष्ठ नेता विनोधर ओझा ने कहा कि जो स्वयं महापुरुषों में आस्था नहीं रखते वो केवल ढोंग ही कर सकते हैं। विजयोत्सव इसका ताजा उदाहरण कहा जा सकता है। यहां करोड़ों रुपये की राशि खर्च की गई लेकिन, केंद्रीय मंत्री के जिले में बाबू कुंवर सिंह उपेक्षित है, लेकिन कोई सुध लेने वाला तक नहीं, यह बहुत ही शर्मनाक है।

वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव के सदर विधानसभा प्रभारी सह भाजपा जिला उपाध्यक्ष पुनीत सिंह ने कहा कि प्रतिमा तकरीबन एक साल से विखंडित है। वहां कुछ विवाद है, जिसके कारण प्रतिमा को पुनर्स्थापित नहीं कराया जा सका है। 

यह पूछे जाने पर कि जहां करोड़ों रुपये का खर्च कर विजयोत्सव मनाया जा रहा है, वहां इस तरह की स्थिति का जिम्मेदार कौन है? उन्होंने बताया की प्रतिमा सोखा बाबा धाम के समीप स्थित मध्य विद्यालय में स्थापित है। गांव से दूर होने के कारण उसकी निगरानी नहीं हो पाती है, जिस वजह से ऐसी स्थिति सामने आई। वहीं दूसरी तरफ उन्होंने भी यह बताया कि प्रतिमा स्थापना के समय काफी पैसे खर्च हुए थे, निजी तौर पर अब उतनी राशि खर्च करना संभव नहीं है।

अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा, जानकारी लेकर होगा उचित पहल ।

अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि जैसे ही उन्हें प्रतिमा के विखंडित होने की जानकारी पत्रकारों के द्वारा दी गई उन्होंने तुरंत ही मौके पर अंचलाधिकारी तथा थानाध्यक्ष को स्थिति का अवलोकन करने के साथ ही जानकारी लेने के लिए भेजा है। उन्होंने कहा कि वह स्वयं अपने स्तर से ही मामले की जानकारी ले रहे हैं।  रिपोर्ट के आलोक में आगे की कार्रवाई की जाएगी।Bihar News Print की यह खबर आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में अवश्य बताएं। खबर टॉपिक को अपना सुझाव दें।

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